CG News | Supriya Shrinet participated in Devendra Yadav’s nomination rally, fiercely attacked BJP
बिलासपुर। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र यादव के नामांकन रैली में शामिल होने के बाद कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत रायपुर पहुंची। इस दौरान राजीव भवन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने नक्सलियों को शहीद बताए जाने वाले बयान पर सफाई देते हुए बीजेपी पर जमकर हमला बोला।
उन्होंने कहा कि, बीजेपी की फेक न्यूज़ फैक्ट्री मेरे बयान को गलत तरीके से चला रही है। साल 2013 में झीरम घाटी में हमने कांग्रेस के पूरे नेतृत्व को इन्हीं नक्सलियों के हाथ खोया था। क्या ऐसे नक्सलियों के साथ हमारी जरा सी भी सहानुभूति हो सकती है? कांग्रेस ने अपने दो-दो प्रधानमंत्री को हिंसा की बलिवेदी में चढ़ते हुए देखा है। प्रदेश की बीजेपी कुत्सित है और वे काट-छांट कर मेरे बयान को चला रहे हैं।
यह था पूरा मामला –
उल्लेखनीय है कि, मंगलवार को कांकेर में पुलिस और बीएसएफ के जवानों ने मुठभेड़ में 29 नक्सलियों को ढेर कर दिया गया था। इस मुठभेड़ पर कांग्रेस राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने विवादित बयान दिया था, जहां उनसे नक्सली मुठभेड़ और भूपेश बघेल के बयान के संदर्भ में सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा था कि, इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।
मुझे लगता है कि, इसकी गहन जांच होनी चाहिए और उन सब लोग जो शहीद हुए हैं और हमारे कुछ सुरक्षा कर्मी भी घायल हुए हैं। उन सबको हमारी संवेदना है और इसमें राजनीति का कोई सवाल ही नहीं है।
डिप्टी सीएम साय ने बताया था, सुरक्षा बलों के मनोबल और पराक्रम पर प्रहार –
कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत के इस बयान के बाद से सियासत गरमा गई थी। सुप्रिया के बयान पर उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा था कि, कांग्रेस पार्टी का ये निकृष्ट बयान लोकतंत्र पर प्रहार है। सुरक्षा बलों के मनोबल और पराक्रम पर प्रहार है। छत्तीसगढ़ और बस्तर की जनता पर प्रहार है। नक्सलियों को शहीद मानने वाली कांग्रेस ने 5 साल बस्तर में इसी मानसिकता से कार्य किया है।
गौरव भाटिया ने बताया था कांग्रेस का नैतिक दिवालियापन –
इसके अलावा बीजेपी नेता गौरव भाटिया ने X पर वीडियो शेयर कल लिखा था कि, छत्तीसगढ़ में हमारे सुरक्षाबलों ने 29 नक्सली, जिनमें 2 तो 25–25 लाख के इनामी थे जिनको मार गिराया गया है। कांग्रेस की प्रवक्ता इन नक्सलियों को शहीद बता रही हैं। इसी को मानसिक और नैतिक दिवालियापन कहते हैं।