Chhattisgarh | विशेष पिछड़ी जनजातियों की बदलेगी तस्वीर, बजट में 300 करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान

Chhattisgarh | Picture of Special Backward Tribes will change, provision of Rs 300 crore in the budget

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में तैयार किये गये बजट में विशेष पिछड़ी जनजाति के सदस्यों के लिए 300 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है। इस बजट प्रावधान से छत्तीसगढ़ में रह रहे बिरहोर, पहाड़ी कोरवा, बैगा, कमार और अबूझमाड़िया लोगों को बुनियादी सुविधाओं का लाभ मिल पाएगा। घास-फूस के घरों की जगह वे पक्के घरों में रह सकेंगे। पेयजल की अच्छी सुविधा होगी। अभी अधिकांश विशेष पिछड़ी जनजाति की बस्तियों में पानी दूर से लाना होता है। कई बार इस जनजातीय समुदाय के लोग झिरिया आदि से पानी पीते हैं। अशुद्ध पेयजल की वजह से बीमारियां पनपती हैं।

देश में पहली बार इन विशेष पिछड़ी जनजातियों के विकास के लिए प्रधानमंत्री जनमन योजना बनाई गई। यह योजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातु से शुरू की थी। छत्तीसगढ़ में इस योजना पर तेजी से क्रियान्वयन हो रहा है और मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय इस पर सीधी नजर रख रहे हैं। बीते माह मुख्यमंत्री ने रायगढ़ जिले में बिरहोर बस्तियों का दौरा भी किया। उन्होंने यहां प्रधानमंत्री जनमन योजना के क्रियान्वयन की स्थिति देखी। मुख्यमंत्री ने इन बस्तियों में रहने वाले लोगों से संवाद भी किया। इन बस्तियों में रहने वाले लोगों को योजनाओं का लाभ मिलते रहे, इसके लिए लगातार कैंप लगाये जा रहे हैं। विशेष पिछड़ी जनजाति के लिए 300 करोड़ रुपए का बजट उपलब्ध हो जाने से अब इन इलाकों में तेजी से विकास हो सकेगा। यह योजना इसलिए भी आवश्यक थी क्योंकि इन जनजातियों का भौगोलिक परिवेश बहुत कठिन है। जहां पर बस्तियां बसी हैं वहां तक पेयजल की सुविधा उपलब्ध करा पाना तथा अन्य बुनियादी सुविधाएं दे पाना चुनौती होती थी लेकिन मुख्यमंत्री श्री साय के दृढ़ संकल्प के आगे रास्ता आसान हो गया है।

जनमन योजना के माध्यम से न केवल बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित की जा रही हैं अपितु इनके लिए रोजगार के अवसर भी इसके माध्यम से सृजित किये जा रहे हैं। सरगुजा और बस्तर की ओर फोकस की सरकार की नीति भी इन अवसरों को बढ़ाने की दिशा में काफी उपयोगी होगी। स्थानीय उद्यमशीलता को बढ़ावा देकर इन जनजातियों के लिए रोजगार सृजन हो सकेगा। इन योजनाओं का लाभ आम आदमी तक पहुंचाने के लिए जनमन मित्र तथा सखी विशेष रूप से उपयोगी साबित हुए हैं। वे घर-घर जाते हैं पीवीटीजी से उनकी भाषा में बात करते हैं। सरकार की योजनाओं की जानकारी देते हैं और फार्म भी भरवाते हैं। इसके बाद वे प्रशासनिक अधिकारियों के समन्वय से इन योजनाओं का लाभ हितग्राहियों को देना सुनिश्चित कराते हैं।

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